क्या हम आज़ाद हैं?

सिंधु घांटी सभ्यता से आज यानी 2017 तक हम भारतीयों  के जीवन में एवं संस्कृति में कई तरहाँ के परिवर्तन आये है ।इसी भूमि पर सभ्यता के प्रारंभ में जब मानव जीवन यापन के लिए विभिन्न संसाधन जुटाने में लगा था उसे नही पता था कि यह भविष्य में एक संयुक्त भारत होगा धीरे धीरे मानव अपने साधन जुटाने में सक्षम होने लगा दुनिया में चारों ओर सभ्यताओं के विकास होने लगा । हम में से ही कुछ शक्तिशाली और बुद्धिमान राजा के रूप में हम पर राज करने लगे, कोई ब्राह्मण कोई सूद्र हो गया समानता खत्म होने लगी । समानता तो खत्म होने लगी पर हम दूसरी ओर तरक्की भी कर रहे थे इतनी तरक्की की हमें सोने की चिड़िया कहा जाने लगा पर कई बार खूबसूरती ही अभिशाप हो जाती है ऐंसा ही हमारे साथ हुआ और हमारी समृद्धि से आकर्षित होकर कुछ लोग यहां व्यापार करने आये और व्यापार करते करते कब हम पर आधिपत्य कर लिया हम ही नही समझ पाए । फिर इसी धरती और ऐंसे लोगों ने जन्म लिए जिनके खून में संयोगवश गुलामी करना स्वीकार नही था और बगावत शुरू कर दी कि कुर्बानियों , संघर्षों के बाद अंग्रेजों ने घुटने टेके ओर आज़ादी देने पर मजबूर हुए अब हम अलग अलग रियासतों में नही बंटे थे अब हम संयुक्त भारत थे पर समस्या यह थी कि जो 200 साल हमने गुलामी में काटे उन सालों में दुनिया काफी आगे निकल चुकी थी और हम वहीं खड़े थे पर हमने दिन दोगुनी ओर रात चौगुनी तरक्की करके दुनिया के अन्य देशों  से कंधे से कंधा मिलाया । अब हम आज़ाद हैं और लगभग दुनिया के अन्य देशों से बराबर भी

पर सावधान ...... कोई है जिससे यह आज़ादी देखी नही जा रही हैं कुछ शक्तियां जो नही चाहती आप समृद्ध रहें , आज़ाद रहें  वह हैं कुछ तथाकथित धार्मिक संगठन, धर्म के ठेकेदार जो भगवान ,अल्लाह और धर्म के नाम पर हमें भड़काते हैं और हम भड़क जाते है ।यह  गुलामी नही तो क्या है ?इस देश में वैलेंटाइन डे खुलकर नही मनाया जाता उनके डर से, दो अलग धर्म के लोग शादी नही कर सकते इन्ही के डर से,अगर वह आपसे धार्मिक नारा लगाने को बोलेंगे तो आपको लगाना पड़ेगा वरना आपकी मौत भी हो सकती है, यह ठेकेदार किसी एक धर्म में नही हर धर्म में है कभी ये गोरक्षा के नाम पर मारते हैं तो कभी जिहाद के नाम, कभी कोई कारण न मिले तो जाती के नाम पर भी असल में इन्हें न गोरक्षा करनी है ना इन्हें जिहाद का अर्थ पता है इन्हें आतंकवाद फैलाने के लिए सिर्फ एक धर्म के चोले की ज़रूरत है जिसमें हम भी इनकी मदद करते हैं । हम भी इनके गुलाम हैं

क्या हम आज़ाद हैं?

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