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Showing posts from April, 2019

इस तरह भाई साहबों की कठपुतली बने रहते हैं राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता

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भाई साहब, हम सबकी ज़िंदगी बहुत मजेदार है। जो नेता पसन्द न आए, जी भर के सोशल मीडिया पर गुस्सा निकालो, जो जी में आए बक दो। साथ-साथ अपनी नौकरी करते रहो मजे में। ज़रा उन नेताओं, कार्यकर्ताओं के दिल से पूछिये काम क्या होता है, जो डंडे झंडे उठाते हैं, दिनभर व्हाट्सएप पे आईटी सेल के पोस्ट फॉरवर्ड करते हैं। जिन सो कॉल्ड भाई साहब के पीछे दिन भर घूमते हैं, वो यही दिलासा देते रहता हैै कि इस बार अपना टिकट पक्का। फिर आता है चुनाव, भाई साहब का टिकट तो पक्का है ही, बस मेहनत करना है जमके और भाई साहब को जिताना है। लेकिन जब टिकट कन्फर्म होता है तो पता चलता है कि भाई साहब का इस बार भी कट गया (टिकट)। उधर भाई साहब गुस्से में आग बबूला, इधर  कार्यकर्ता को समझ नहीं आता कि अब करें तो करें क्या बोलें तो बोलें क्या। डरते डरते भाई साहब से पूछते हैं- भाई साहब अब क्या करेंगे? अब भाई साहब वैसे ही गुस्से में हैं, हाईकमान का तो कुछ उखाड़ नहीं पाए, कार्यकर्ता पर ही बिफर पड़ते हैं। कार्यकर्ता बेचारा निराश अपने घर लौटता है, घर वालों के ताने तो रोज़ ही सुनता है तो उसकी कोई टेंशन नहीं है। बस भाई साहब का टिकट हो जाता तो अपनी भी

भाभीजी तो घर पर हैं पर क्या चुनाव आयोग देश में है ?

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जानता हूँ आलोचना करने की हिम्मत हर किसी में नहीं होती। लेकिन सरकार के आगे इस हद तक भी लोग झुक सकते हैं यह सोचा नहीं था। सामान्य दिनों में अगर सरकार से पैसा लेकर किसी टीवी चैनल या सीरियल के जरिये योजनाओं का प्रचार किया गया होता तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होती। लेकिन अचार संहिता में भी जिस तरह योजनाओं का खुलेआम प्रचार किया जा रहा है। उसके पीछे या तो बहुत बड़ा लालच हो सकता है या फिर डर। एन्ड टीवी नाम का एक चैनल इस हद तक सरकार की खुशामद में लग गया है कि किरदारों से मोदी जी की तारीफ करवाई जा रही है। इस चैनल पर प्रसारित होने वाले एक नाटक आता है भाभी जी घर पर हैं। इसमें कभी स्वच्छ भारत अभियान का प्रचार होता है तो कभी उज्ज्वला योजना का। अगर यकीन न हो तो आप नीचे दिए यूट्यूब के लिंक पर इस कॉमेडी सीरियल के वह दो सीन देख सकते हैं, जिनमें मोदी जी और उनकी योजनाओं की तारीफ की जा रही है, वो भी अचार संहिता के दौरान। अफसोस की बात तो यह है कि ये सब रोकने कि या इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की जिम्मेदारी जिनकी है वह चुप हैं। पहले बात अपने ही पेशे से जुड़े लोगों की करता हूँ। फ़ेसबुक पर मेरी मित्र सूची में कुछ खु