उस दुख भरे माहौल में एडवेंचर करने के लिए मोदीजी बधाई के पात्र हैं
ईश्वर न करे ऐसा हो फिर भी सोचकर देखिए। आपके घर पर कुछ गुंडे हमला कर देते हैं। एक एक सदस्य को मौत के घाट उतारकर लाश के चिथड़े चिथड़े कर दिए जाते हैं। ये खबर घर के मुखिया को लगती है, जो पार्क में सैर करने गया है। वह क्या करेगा? मान लीजिए मुखिया पक्के दिल का भी है फिर भी दुखी मन से घर तो आएगा ? निश्चित ही आएगा। जानते हैं क्यों? क्योंकि वह महामानव नहीं है। वह एक मूर्ख इंसान है। अब सोचिए आपको खबर लगती है कि आपके किसी दुश्मन की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। लाश के परखच्चे उड़ गए। क्या आप अपना कोई मनोरंजक कार्य छोड़कर सोच में नहीं पड़ जाएंगे। क्या यह नहीं सोचेंगे उसे ऐसे नहीं मरना चाहिए था? यही व्यक्ति दुश्मन की जगह कोई दोस्त हो तो शायद आप दौड़े दौड़े जाएंगे उसके मृत शरीर को देखने, जिसमें अब कुछ नहीं बचा। हालांकि अब आप कुछ कर नहीं सकते फिर भी जाएंगें। क्योंकि आप इंसान हैं, साथ ही बेवकूफ भी। आपको इतना ज्ञान नहीं है कि मरा हुआ इंसान वापस तो आएगा नहीं। इसलिए बेहतर है कि अपना काम ही निपटा लिया जाए। भले ही वह काम कितना भी फालतू हो पर निपटा लिया जाए। क्योंकि जो हमारा अजीज़ है वह तब तक ही अजीज़ था जब तक