भाभीजी तो घर पर हैं पर क्या चुनाव आयोग देश में है ?
जानता हूँ आलोचना करने की हिम्मत हर किसी में नहीं होती। लेकिन सरकार के आगे इस हद तक भी लोग झुक सकते हैं यह सोचा नहीं था। सामान्य दिनों में अगर सरकार से पैसा लेकर किसी टीवी चैनल या सीरियल के जरिये योजनाओं का प्रचार किया गया होता तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होती। लेकिन अचार संहिता में भी जिस तरह योजनाओं का खुलेआम प्रचार किया जा रहा है। उसके पीछे या तो बहुत बड़ा लालच हो सकता है या फिर डर।
एन्ड टीवी नाम का एक चैनल इस हद तक सरकार की खुशामद में लग गया है कि किरदारों से मोदी जी की तारीफ करवाई जा रही है। इस चैनल पर प्रसारित होने वाले एक नाटक आता है भाभी जी घर पर हैं। इसमें कभी स्वच्छ भारत अभियान का प्रचार होता है तो कभी उज्ज्वला योजना का। अगर यकीन न हो तो आप नीचे दिए यूट्यूब के लिंक पर इस कॉमेडी सीरियल के वह दो सीन देख सकते हैं, जिनमें मोदी जी और उनकी योजनाओं की तारीफ की जा रही है, वो भी अचार संहिता के दौरान। अफसोस की बात तो यह है कि ये सब रोकने कि या इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की जिम्मेदारी जिनकी है वह चुप हैं। पहले बात अपने ही पेशे से जुड़े लोगों की करता हूँ। फ़ेसबुक पर मेरी मित्र सूची में कुछ खुद को वरिष्ठ पत्रकार समझने वाले सरकार के दरबारी हैं। जो आए दिन प्रधानमंत्री पद की गरिमा के उल्लंघन के नाम पर आलोचनाओं को गलत ठहराते हैं। एक लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचनाएं उन्हें प्रधानमंत्री की गरिमा पर प्रहार लगती हैं, लेकिन अचार संहिता का खुला उल्लंघन शायद उनके अनुसार लोकतंत्र की शोभा बढ़ाते होंगे। चुनाव आयोग कि तो क्या ही बात की जाए, जिसपर भरोसा करके हम मतदान करते हैं और कहते हैं जनता ही सर्वोपरी है। राफेल घोटाले पर लिखी किताब का इस समय आना चुनाव आयोग को अचार संहिता का उल्लंघन लगता है। लेकिन खुलेआम टीवी सीरियल्स और फिल्मों के माध्यम से जो मोदी जी का प्रचार हो रहा है उस पर आयोग की चुप्पी यह दर्शाती है कि देश में सिर्फ मोदी जी ही सर्वोपरि हैं। लोकतंत्र पर इतना बड़ा प्रहार आप सभी को मुबारक हो। प्रधानमंत्री पद की गरिमा बनाए रखिये।
https://youtu.be/DuHmE0mY1hI
एन्ड टीवी नाम का एक चैनल इस हद तक सरकार की खुशामद में लग गया है कि किरदारों से मोदी जी की तारीफ करवाई जा रही है। इस चैनल पर प्रसारित होने वाले एक नाटक आता है भाभी जी घर पर हैं। इसमें कभी स्वच्छ भारत अभियान का प्रचार होता है तो कभी उज्ज्वला योजना का। अगर यकीन न हो तो आप नीचे दिए यूट्यूब के लिंक पर इस कॉमेडी सीरियल के वह दो सीन देख सकते हैं, जिनमें मोदी जी और उनकी योजनाओं की तारीफ की जा रही है, वो भी अचार संहिता के दौरान। अफसोस की बात तो यह है कि ये सब रोकने कि या इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की जिम्मेदारी जिनकी है वह चुप हैं। पहले बात अपने ही पेशे से जुड़े लोगों की करता हूँ। फ़ेसबुक पर मेरी मित्र सूची में कुछ खुद को वरिष्ठ पत्रकार समझने वाले सरकार के दरबारी हैं। जो आए दिन प्रधानमंत्री पद की गरिमा के उल्लंघन के नाम पर आलोचनाओं को गलत ठहराते हैं। एक लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचनाएं उन्हें प्रधानमंत्री की गरिमा पर प्रहार लगती हैं, लेकिन अचार संहिता का खुला उल्लंघन शायद उनके अनुसार लोकतंत्र की शोभा बढ़ाते होंगे। चुनाव आयोग कि तो क्या ही बात की जाए, जिसपर भरोसा करके हम मतदान करते हैं और कहते हैं जनता ही सर्वोपरी है। राफेल घोटाले पर लिखी किताब का इस समय आना चुनाव आयोग को अचार संहिता का उल्लंघन लगता है। लेकिन खुलेआम टीवी सीरियल्स और फिल्मों के माध्यम से जो मोदी जी का प्रचार हो रहा है उस पर आयोग की चुप्पी यह दर्शाती है कि देश में सिर्फ मोदी जी ही सर्वोपरि हैं। लोकतंत्र पर इतना बड़ा प्रहार आप सभी को मुबारक हो। प्रधानमंत्री पद की गरिमा बनाए रखिये।
https://youtu.be/DuHmE0mY1hI
https://youtu.be/5skUGMMVPTM
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