कौन करते हैं जेएनयू का विरोध और क्यों?

जेएनयू का मुद्दा भले ही पिछले एक सप्ताह से थोड़ा ठंडा पड़ा हो। लेकिन मैं लम्बे समय से अपने आस पास के माहौल में जेएनयू के प्रति लोगों की मानसिकता को ऑब्जर्व कर रहा हूँ। जो कहते हैं कि जेएनयू के छात्र 40 की उम्र तक पढ़ते हैं, हमारे टैक्स पर पलते हैं, देशद्रोही हैं, मुफ्तखोर हैं वगैरह - वगैरह। या जो किसी भी रूप में जेएनयू का विरोध करते हैं, उन्हें मैंने अपनी समझ के अनुसार 10 कैटेगरी में बांटा है।


कैटेगरी - 1 : वे जिन्हें लगता है कि पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद की जाने वाली पढ़ाई निरर्थक है। उन्हें लगता है रिसर्च विसर्च सब बकवास है। इस कैटेगरी के लोगों का एक फिक्स माइंडसेट है। ये बिना पढ़े लिखे मजदूर को बेकार समझते हैं, 12वीं के बाद नौकरी करने वाले इंसान को निचले दर्जे का, ग्रेजुएशन के बाद नौकरी करने वाले को समझदार, पीजी के बाद नौकरी करने वाले को कम समझदार और पीएचडी करने वाले को मुफ्तखोर। इन्हें यह नहीं पता की सभी का देश के विकास में बराबर योगदान है।


कैटेगरी-2 :  निजी परस्थितियों के चलते इन्हें कम उम्र से नौकरी करनी पड़ी। इसका जिम्मेदार ये सरकार को नहीं मान सकते, क्योंकि ये सरकार के समर्थक हैं। इसलिए ये जेएनयू के छात्रों पर खीझते हैं। इन्हें लगता है जैसे हमें परस्थितियों ने मजबूर किया, वैसे उन छात्रों को क्यों न किया जाए।

कैटेगरी 3 :  वे जिनके पास पढ़ाई के लिए पर्याप्त पैसा है, जो महंगी प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ते हैं। उन्हें लगता है कि शिक्षा के लिए जो मोटी रकम खर्च करता है वही शिक्षा की कद्र करता है। यह बात इनकी समझ से ही बाहर है कि समाज में कोई ऐसा भी हो सकता है जिसकी सालाना पारिवारिक आय निजी यूनिवर्सिटी के एक सेमेस्टर की फीस से भी कम है।

कैटेगरी 4 :  वे जिनके पास न तो पैसा है न ही जेएनयू का एंट्रेंस निकालने की योग्यता। मजबूरी में एजुकेशन लोन लेकर प्राइवेट यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं। इन्हें लगता है कि मैं भी तो गरीब हूँ, लेकिन मैं तो फीस दे रहा हूँ, फिर जेएनयू के छात्र कम फीस में क्यों पढ़ रहे हैं? अपनी नाकामयाबी के चलते इन्हें सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रवेश नहीं मिला, लेकिन इसे छुपाने के लिए ये कहते हैं कि मैं स्वाभिमानी हूँ इसलिए टैक्स पेयर्स के पैसों पर नहीं पल रहा।

कैटेगरी 5 : वे जो आर्थिक रूप से सम्पन्न हैं, सामाजिक रूप से मजबूत हैं। इन्हें पता है कि जेएनयू जैसे संस्थान उस तबके के लिए एक वरदान हैं, जिन्हें हमने आगे नहीं बढ़ने दिया। ये भले ही हर साल सरकार की आंख में धूल झोंककर करोड़ों का टैक्स बचाते हों, लेकिन कहते हैं कि जेएनयू के छात्र हमारे टैक्स पर पलते हैं।

कैटेगरी 6 : इन्हें लगता है सरकार के ख़िलाफ़ उठने वाली हर आवाज़ को दबाना चाहिए। इनका मानना है कि सरकार का विरोध देश विरोध है।

कैटेगरी 7: इन्हें जेएनयू के छात्रों की बेबाकी से दिक्कत है। यह मानते हैं कि छात्र वही अच्छा है जो फीस बढ़ाए जाने पर चुप रहे, यौन शोषण हो जाने पर चुप रहे, पढ़ाई न होने पर चुप रहे, भेदभाव पर चुप रहे, देश के मुद्दों पर खुलकर न बोले।

कैटेगरी 8: जो जेएनयू को सिर्फ उस फेक वीडियो के आधार पर जज करते हैं, जिसमें बताया गया था कि छात्र देश विरोधी नारे लगा रहे हैं। हालांकि इन्हें पता है कि वीडियो नकली साबित हो गया, लेकिन इनका मन मानने को तैयार नहीं कि जी न्यूज जैसा विश्वसनीय चैनल फेक वीडियो कैसे चला सकता है।

कैटेगरी 9 : इसलिए जेएनयू का विरोध करते हैं, क्योंकि इन्हें बस यही बताया गया है कि जेएनयू सही नहीं है। इनके पास अखबार या किताबें पढ़ने का समय नहीं है। उस नेक की ग्रेडिंग को भी देखने का समय नहीं है, जिसमें जेएनयू टॉप पर है। इनके पास बस व्हाट्सएप्प पर आने वाले मेसेज पढ़ने का समय है।

कैटेगरी 10 : इन्हें नहीं पता, जेएनयू है क्या

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